दो लोगों के इगो की लड़ाई 40 परिवारों के जान पर बन आई
बिहार ब्लाक के लोदीपुर गांव में राजस्व विभाग ने दिया ध्वस्तीकरण की नोटिस, इसी विवाद में दो दिन पहले भिड़ंत होते होते बची

दो लोगों के इगो की लड़ाई 40 परिवारों के जान पर बन आई
बिहार ब्लाक के लोदीपुर गांव में राजस्व विभाग ने दिया ध्वस्तीकरण की नोटिस, इसी विवाद में दो दिन पहले भिड़ंत होते होते बची
ग्लोबल भारत डेस्क : प्रतापगढ़ जनपद के बिहार ब्लाक का लोदीपुर गांव में दो दिन पहले ग्रामीणों और तालाब कब्जे की शिकायत करने वाले युवक के घर पर चढ़कर हंगामा हुआ तो मामले की परत दर परत खुलती नजर आई। लोदीपुर गांव के एक अधिवक्ता और उनके पड़ोस में रहने वाले युवक के इगो की लड़ाई अब ग्रामीणों के लिए आफत बनती दिखाई दे रही है। 3 दर्जन परिवार इसकी चपेट में आते दिखाई दे रहे है। इसी बात से गांव का माहौल अचानक से गर्मा गया है।
क्या है पूरा मामला
बिहार ब्लाक के राजस्व गांव देवरपट्टी के लोदीपुर गांव के रहने वाले विवेक तिवारी और अधिवक्ता शिव लखन यादव के बीच जमीन के एक टुकड़े को लेकर आपसी विवाद हो गया था। विवेक ने तब गांव के तालाब पर हुए कब्जे को लेकर एसडीएम कुंडा के यहां शिकायत दर्ज कराई और जन सूचना अधिकार के तहत आवश्यक जानकारी जुटा कर मामले को न्यायालय तक पहुंचा दिया। तालाब पर हुए कब्जे को लेकर सरकार और न्यायालय की स्पष्ट नीति रही है कि तालाब पर किसी दशा में कब्जा न होने पाए और यदि कब्जा साबित हो रहा है तो उस पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाए। इस मामले में भी यही हुआ कई चक्र में शिकायती तालाब की नाप हुई तो मिला कि दर्जनों लोगों का आवास उक्त तालाब पर बना हुआ है। एक सप्ताह पहले कुंडा के तहसीलदार ने ग्रामीणों को अंतिम सूचना दिया कि अब उनका घर ध्वस्त होगा क्यों कि न्यायालय में लगातार इसकी शिकायत हो रही है कि राजस्व विभाग कार्यवाही नहीं करता।
सूचना मिलने के बाद ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे गया तो रविवार को सुबह बड़ी संख्या में लोग शिकायत दर्ज कराने वाले शख्स के घर इकट्ठा हो गए। शिकायत कर्ता का कहना है कि उसके घर चढ़कर लड़ाई और मारपीट भी हुई। वैसे इसे सरकारी तंत्र की कार्यवाही के भय का असर माना जा सकता है।
क्या कहते है जिम्मेदार
कुंडा के तहसीलदार अलख नारायण शुक्ला ने पूछने पर बताया कि कई चक्र की नाप से ये तो तय हो गया है कि चिन्हित मकान तालाब में बने है वो कार्यवाही की जद में है। मामला चूंकि न्यायालय की दिशा निर्देशों के अधीन है इस लिए राजस्व विभाग कार्यवाही करने के लिए विवश है। तालाबों के लेकर न्यायालय वैसे भी संवेदनशील बना रहता है ऐसे में कार्यवाही तय मानी जा सकती है। कब्जा धारकों को गांव में भी मकान बनाने के पहले जांच करनी चाहिए थी।
क्या कहते है ग्रामीण
लोदीपुर गांव के लोग जिनका मकान ध्वस्तीकरण के दायरे में है उनका कहना है कि अगर उनके मकान को ध्वस्त किया जाता है तो उनके सामने पुनर्वास की समस्या आनी तय है। जिंदगी भर की कमाई लगाकर उन्होंने मकान बनाया है और अब भी घर गिरने के कगार पर है तो उनका विचलित होना तय है। ग्रामीणों की एक बात गौरतलब है कि शिकायत कर्ता के पिता लंबे समय तक देवरपट्टी के प्रधान थे तो स्वाभाविक है कि इन लोगों को बसाने में भी उनकी भूमिका रही होगी अब पिता के बसाए लोगों को बेटा उजाड़ने पर आमादा है। कुल मिलाकर गंवई राजनीति और दो लोगों के इगो ने मामले को इस कगार पर लाकर खड़ा किया है। जहां उनके घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की धमक सुनाई देने लगी है।